स्किल इंडिया को साकार करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में वाराणसी में अपनी तरह के प्रथम भारतीय रत्न और आभूषण संस्थान (आईजीजे) की स्थापना

वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा रत्न और आभूषण क्षेत्र का रोजगार सृजन पर सीधा प्रभाव और यह ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों को अधिकतम रोजगार प्रदान करता है
वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दूसरे क्षेत्रों के विपरीत रत्न और आभूषण क्षेत्र रोजगार निर्माण पर सीधा प्रभाव डालता है। वाराणसी में वाराणसी विस्तार परिसर में भारतीय रत्न और आभूषण संस्थान के शिलान्यास समारोह के अवसर पर अपने संबोधन पर उन्होंने कहा कि यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें रत्न और आभूषण जैसे उपक्षेत्रों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों को उचित प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकतम रोजगार प्रदान किया जाता है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस पवित्र शहर में मानव सभ्यता का सबसे लंबा इतिहास है। इस शहर ने सदियों पूर्व भी शिल्प कौशल का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद, जीजेईपीसी यहाँ इस व्यवस्था को भी देखता है कि वर्षों पहले सामने आई प्रतिभाएं अभी तक खोई नहीं है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न सिर्फ उनकी पहचान करें बल्कि इस प्रक्रिया को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में उनकी पूरी सहायता करें। 

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अभिकल्पित परियोजनाओं में से एक स्किल इंडिया को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अपनी तरह के प्रथम भारतीय रत्न और आभूषण संस्थान (आईजीजे) की स्थापना कर रही है। देश के आईआईजीजे परिसरों में मुंबई, नई दिल्ली, जयपुर और कोलकाता के बाद वाराणसी पांचवा केंद्र है। 

जीजेईपीसी के अध्यक्ष श्री प्रवीण शंकर पांड्या ने कहा कि भारत में रत्न और आभूषण का सर्वोच्च निकाय जीजीईपीसी हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि से कौशल भारत सहित अनेक पहलों के माध्यम से भारत को विकास के पथ पर शीघ्रता से आगे बढ़ाने का हमेशा से समर्थन करता रहा है। 
भारत में रत्न और आभूषण उद्योग ने 1966-67 में 28 मिलियन अमरीकी डॉलर से 2015-16 तक 38 बिलियन अमरीकी डॉलर तक की वृद्धि दर्ज की है। यह उल्लेखनीय है कि यह उद्योग संपूर्ण भारत में करीब 3 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। 

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वीएल/एसएस/डीए - 5272