भारत ऊर्जा परिवर्तन में वैश्विक लीडर है और इस मार्ग में लगातार नेतृत्व करने की इच्छा रखता है

भारत वैश्विक स्तर पर उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक है जिसने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में गुणात्मक बढ़ोत्तरी के साथ-साथ पेरिस जलवायु परिवर्तन (सीओपी 21) की प्रतिबद्धताओं को भी पूरा किया है। ऊर्जा क्षेत्र में विकास की गति को ध्यान में रखते हुएभारत न केवल इसे प्राप्त करने के लिए कृतसंकल्प हैबल्कि प्रतिबद्ध समय सीमा के अंदर अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं की सीमा को पार करने के लिए भी तैयार है। ये बातें केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रीश्री आर.केसिंह ने आज यहां नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार और ऊर्जापर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) द्वारा आयोजित किए गए वेबिनार "वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण" में अपने मुख्य भाषण में कही।

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सभा को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी है। भारत का एनडीसी, 2030 तक कुल बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 40% तक बढ़ाना हैलेकिन अगर हम वर्तमान दर से आगे बढ़ते रहे तो 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से लगभग 50% प्राप्त करने में सक्षम बन सकते हैं।

श्री सिंह ने आगे कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है और इसका उद्देश्य इस मार्ग में अपना नेतृत्व जारी रखना है। उन्होंने कहा कि हमने 100 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाला मील का पत्थर प्राप्त किया जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। यह न केवल 2030 तक 450 गीगावॉट प्राप्त करने वाले भारत के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैबल्कि यह और ज्यादा प्राप्त करने और वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिवर्तन के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे अग्रणी देशों में से एक होने का विश्वास भी उत्पन्न करता है।

श्री सिंह ने बताया कि ब्लूमबर्ग द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने के लिए भारत को सबसे आकर्षक गंतव्य घोषित किया गया है।

मंत्री ने सूचित किया कि सरकार रिफाइनिंग और उर्वरकों में हरित हाइड्रोजन खरीद दायित्वों के लिए आदेशपत्र 10% से शुरू करने का प्रस्ताव कर रही है, जिसे बाद में बढ़ाकर 20-25% कर दिया जाएगा। समय के साथ अधिक से अधिक मात्रा को जोड़ने से कीमत में कमी आएगी और तब आदेशपत्र की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम हैवी मोबलिटी में हरित हाइड्रोजन के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के साथ आने का भी प्रस्ताव कर रहे हैं और इस्पात जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी नजर रखे हुए हैं।

इस अवसर पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के राज्य मंत्री, श्री भगवंत खुबाएमएनआरई सचिव, श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी भी उपस्थित थे। वेबिनार में अनुकूल अंतरराष्ट्रीय नीतियोंप्रौद्योगिकी सह-विकासप्रदर्शनों के लिए एकत्रित किए गए वित्त और निवेश के माध्यम से बाजार का निर्माण करने और तैनाती को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का निर्माण करने के लिए आवश्यक बहुपक्षीय प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

वेबिनार में एच. ई. जुआन अंगुलोभारत में चिली के राजदूतबांग्लादेशश्रीलंका और नेपाल के समतुल्य; एच. ई. मार्टिन स्ट्रैंडगार्डमिशन के उप प्रमुखराजदूतद रॉयल डेनिश एम्बेसीजर्मनी दूतावासअर्थशास्त्र और वैश्विक मामलों के मंत्री और विभाग के प्रमुख, डॉ. स्टीफन एन कोचनेटली टॉम्सआर्थिकजलवायु और विकास परामर्शदाताब्रिटिश उच्चायोग को एक "कंट्री कन्वर्सेशन" दिखाया गया।  डॉ. अरुणाभा घोषसीईओसीईईडब्ल्यू द्वारा इसका संचालन किया गया।

"कॉर्पोरेट कन्वर्सेशन" पर आयोजित किए गए एक अन्य सत्र में डेविड सिरेलीकंट्री मैनेजर और सीईओस्नैम इंडियाफ्रैंक वउटर्ससीनियर वाइस प्रेसिंडेंट - ऊर्जा संक्रमणरिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेडऔर अलका उपाध्यायएवीपी और प्रमुखपर्यावरण और सस्टेनेबिलिटीटाटा सस्टेनेबिलिटी ग्रुप ने श्रोताओं के बीच अपनी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की।

भारत यूएन हाई-लेवल डायलॉग ऑन एनर्जी के लिए ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक वैश्विक चैंपियन हैजिसका उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के ऊर्जा संबंधित लक्ष्यों के कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ मेंभारत ने ऊर्जा परिवर्तन के चार अन्य वैश्विक सर्वश्रेष्ठ देशों-चिलीडेनमार्कजर्मनी और ब्रिटेन को विकासात्मक लक्ष्यों के साथ समझौता किए बिना औद्योगिक ऊर्जा परिवर्तन पर चर्चा करने और इस परिवर्तन में हाइड्रोजन की भूमिका पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया है। प्रतिभागी कंपनियों द्वारा भी अपने विचारों और सुझावों को साझा किया गया।

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