राजस्थानी रंग में रंगा 'राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल', टॉक शो में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की उठी मांग

जयपुर। राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 के तीसरे दिन सिनेमा पर्दे पर राजस्थानी रंग देखने को मिला। जेम सिनेमा में आठ राजस्थानी फिल्मों के प्रदर्शन के साथ 'सिनेमा में क्षेत्रीय भाषा और राजस्थानी भाषा के भविष्य और चुनौतियों' पर ओपन फॉर्म (टॉकशो) का भी आयोजन किया गया। टॉक शो में फेस्टिवल डायरेक्टर सोमेंद्र हर्ष, राजस्थान राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा, अभिनेता मारवाड़ श्री रवि पुरोहित, डायरेक्टर जिगर नगड़ा, अभिनेत्री प्रियंका चौहान, डायरेक्टर धर्मेंद्र उपाध्याय, राजस्थानी लेखक एवं डायरेक्टर मोहन काविया ने राजस्थानी सिनेमा और महिला प्रधान फिल्मों पर चर्चा की। वही शो में मंच का संचालन लेखक एम डी सोनी ने किया।

टॉक शो में राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने राजस्थानी भाषा में फिल्में बनाने को बढ़ावा दिया। सुमन शर्मा ने कहा कि भारतीय सिनेमा में राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए। आज राजस्थानी भाषा में फिल्में तो बहुत बन रही है लेकिन प्रचार—प्रसार और दर्शकों की कमी की वजह से ये फिल्में पिछड़ जाती है। राजस्थान में शूट हो रही फिल्में जब हिंदी फिल्मों के तौर पर हिट होती है तो राजस्थानी फिल्में राजस्थान में शूट होकर वो मुकाम क्यों नहीं पा सकती। शर्मा ने कहा कि आज बॉलीवुड में ऐसे बहुत से पॉपुलर सितारें है जो राजस्थान से ताल्लुक रखते है वो हिंदी सिनेमा से प्रसिद्धि पा रहे हैं। लेकिन राजस्थानी सिनेमा को पहचान नहीं मिल पा रही है। सुमन शर्मा ने खाप पंचायतों का भी जिक्र करते हुए कहा कि भले ही राजस्थान में खाप पंचायत बदनाम है लेकिन समय के साथ सबकुछ बदल जाता है।

फिल्म डायरेक्टर धर्मेंद्र उपाध्याय ने टॉक शो में कहा कि लोग जिस तरह आम बोलचाल में राजस्थानी भाषा का उपयोग करते है यदि इसी तरह बड़े पर्दे पर भी करें तो आज हमारी फिल्में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए जा सकती है। वही अभिनेत्री प्रियंका चौहान ने पटना से होने के बावजूद राजस्थानी फिल्म से डेब्यू करने को अपना सौभाग्य बताया। अभिनेता कुनाल ने राजस्थानी फिल्मों के कॉटेंट पर ध्यान देने की बात कही। कुनाल ने कहा कि लेखक को अब दर्शक के दिमाग को पढ़कर फिल्मों की स्क्रीप्टिंग करनी चाहिए। जिससे समाज में एक अनुभवी संदेश दे सके।

राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन डायरेक्टर निपुण धलुआ की फिल्म 'मुझे स्कूल नहीं जाना' की स्पेशल स्क्रीनिंग में ज्योति विद्यापीठ विद्यालय के स्टूडेंट्स और शिक्षक भी दर्शक बनकर आए। जहां बच्चों ने फिल्म देखकर अपने अनुभव भी शेयर किए।

ओटीटी स्ट्रीमिंग के टॉक शो में बोले कलाकार 

राजस्थानी भाषा पर हुए टॉक शो के साथ ही रिफ में तीसरे दिन 'ओटीटी राग- स्ट्रीमिंग युग में कहानियां बनाने' की थीम पर ओपन फॉर्म (टॉकशो) का आयोजन भी किया गया। जिसमें फिल्म डायरेक्टर निपुण धोलुआ, फिल्म डायरेक्टर मानसी दाधीच, अभिनेता भारत अलसीसर, अभिनेत्री मैरिएन बोर्गो ने सिनेमा जगत में ओटीटी प्लेटॅफॉर्म की महत्वपूर्णता के बारे में चर्चा की। टॉक शो का संचालन लेखक और शिक्षक कार्तिक बाजोरिया ने किया। 

टोक शो में एक्टर भारत ने बताया कि ओटीटी ने हर कलाकार को एक मंच दिया है। अब इस प्लेटफॉर्म को लेखकों की जरूरत है। जो प्रभावशाली कहानियां बनाएं और ओटीटी के जरिए प्रदर्शित करें। 

वही फिल्म डायरेक्टर निपुण धोलुआ ने 90 के दशक से आज के दौर की तुलना कर बताया कि तकनीकी ने सिनेमा जगत का नया विकास किया है। वीएफएक्स, जैसी अन्य तकनीकों से अब फिल्में बनाना आसान हो गया है। 

रिफ में दिखी 'फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन' 

सिनेमा जगत में जब भी महिलाओं के योगदान की बात होगी ‘फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन’ और ‘ड्रीमगर्ल’ देविका रानी का नाम पहले लिया जाएगा। रिफ में इसी सिलसिले को जारी रखते हुए डॉक्यूमेंट्री ​फीचर फिल्म 'डिसकवरिंग देविका' की स्क्रीनिंग रखी गयी। 68 मिनट की फिल्म दर्शकों को 90 के दशक के उन पलों की याद दिला गई जो आज के दौर से धूमिल हो चुके है। उषा देशपांडे की निर्देशित फिल्म में देविका रानी के जीवन के प्रतिबिंब खोजने का प्रयास किया गया है। फिल्म पूरी तरह से उनके रोमांस, करुणा, मुस्कुराहट और आंसुओं से लबरेज है। खास बात ये है कि 1969 में जब दादा साहब फाल्के अवॉर्ड्स की शुरुआत हुई तो पहला अवॉर्ड देविका रानी को ही मिला। वे 1958 में पहली एक्ट्रेस भी थीं जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। 1990 में सोवियत रूस ने उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’ से सम्मानित किया।

रिफ के तीसरे दिन महिलाओं के जीवन से जुड़ी इन फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग 

रिफ के दसवें संस्करण में तीसरे दिन मुकुल हरजारा निर्देशित फिल्म 'मैं हूं छोरी राजस्थानी' झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की गाथा याद दिलाती है। फिल्म लड़कियों के बारे में हैं, जो दुनिया भर में कई लड़कियों के लिए प्रेरणा है और जिन्होंने योद्धाओं के रूप में इतिहास रच दिया है। 

विजय चौगुले के निर्देशन में बनी फिल्म 'व्यार्थ' एक दुल्हन के जीवन पर आधारित है। जो अपने खुशहाल जीवन के साथ अपने ससुराल में प्रवेश करती है। हालांकि बाद में उसके साथ अजीब चीजें घटित होने लगती है जिससे दुल्हन असहज और व्याकुल महसूस करने लगती है।

फिल्म मरियम मुंबई की झुग्गी ब​स्ती में अपनी तीन बेटियों के साथ रहने वाले प्रवासी जोड़े मरियम और अब्दुल की कहानी है। जो कोविड महामारी के समय लॉकडाउन के बाद इस असाधारण शहर में अपने अस्तित्व के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे है। 

मानसी दाधीच माहुर के निर्देशक में बनी फिल्म 'शी जस्टिफाइड', केतकी पांडे की निर्देशित फिल्म 'द लास्ट मील', निर्माता दिव्या राठौड़ की 'रोअरिंग व्हिसपर्स', शिलादित्य की निर्देशित फिल्म 'अब तो सब भगवान भरोसे' की स्क्रीनिंग ने एक बार फिर सिनेमा जगत में महिलाओं की उपस्थिति को दर्शाया है। 

30 जनवरी को इन फिल्मों की स्क्रीनिंग से सजेगा रिफ महोत्सव 

राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के चौथे दिन लाचित द वॉरियर, वीर तेजाजी, द जर्नी ऑफ इसरो, हेलमेट, पायल चावला: द माइंड देट मैटर्स, सुधी, नाज, इन, द स्क्रेचबुक, ए साइलेंट एसकेप, नवरस कथा कॉलेज, द रिलेप्स, मंगलावरम, भगवंत केसरी फिल्मों के साथ 'मास्टर क्लास वर्कशॉप फॉर स्टूडेंट्स बाय टिनू आनंद' और 'सिनेमा के माध्यम से पर्यटन निवेश एवं संस्कृति को बढ़ावा देने' की थीम पर ओपन फॉर्म (टॉकशो) का आयोजन होगा। 

31 को अवॉर्ड सेरेमनी के साथ होगा 'रिफ' का समापन 

रिफ के दसवें संस्करण का समापन एक बार फिर एक शानदार अवॉर्ड सेरेमनी के साथ होगा। 31 जनवरी को कार्यक्रम के आखिरी दिन अंतर्राष्ट्रीय, भारतीय और राजस्थानी सिनेमा के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, गौरव पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ लेखक और थीम अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार वितरित किए जाएंगे।