राष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि मीडिया ने हमेशा ऐसे लोगों की आजादी का समर्थन किया है, जो अपना मत व्यक्त करना चाहते हैं। उन्होंने बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समझौता न करने के लिए मीडिया का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि भारत में मीडिया का इतिहास आजादी की लड़ाई के साथ गुंथा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के दिनों में प्रकाशित हिकी गजट से लेकर अब तक मीडिया आम आदमी की समस्याओं को सामने लाता रहा है। हमारे कई राष्ट्रीय नेताओं ने समाचारपत्र शुरू किए या आजादी की लड़ाई के दिनों में इनसे नजदीकी तौर पर जुड़े रहे। जवाहरलाल नेहरू ने अक्टूबर, 1937 में खुद कलकत्ता के मॉर्डन रिव्यू में अपनी तानाशाही प्रवृतियों की आलोचना करते हुए छद्दम नाम से लेख लिखा था। लोग यह पढ़ कर हैरान थे कि आखिर नेहरू की आलोचना किसने की। यह बात लोगों में काफी बाद में पता चली कि उन्होंने आलोचना को बढ़ावा देने के लिए खुद यह लेख लिखा था।
राष्ट्रपति ने यह विश्वास व्यक्त किया मीडिया इस देश में हमेशा अधिनायकवादी प्रवृति के खिलाफ लड़ता रहेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि मीडिया नई टेक्नोलॉजी द्वारा खड़ी की गई चुनौतियों के अलावा दूसरी सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम होगा। उन्होंने मनोरमा समूह को पत्रकारिता को एक मिशन के तौर पर लेने और समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि मनोरमा समूह ने श्री के.एम. मैथ्यू की ओर से निर्धारित किए गए उच्च मूल्यों को आगे बढ़ा कर और उन्हें बरकरार रख अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है।
राष्ट्रपति ने कहा वह अपने सार्वजनिक जीवन के शुरुआती दिनों से ही श्री के.एम. मैथ्यू को निजी तौर पर जानते थे। वह मलयाला मनोरमा समूह से लंबे समय से परिचित हैं और 2013 में कोट्टयम में आयोजित इसके 125वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल रहे थे। मलयाला मनोरमा समूह ने अपने कई प्रकाशनों, रेडियो और टीवी चैनलों के साथ मीडिया जगत में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई है। वह खास कर मनोरमा इयर बुक को काफी पसंद करते हैं और इसके बांग्ला संस्करण की काफी उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं।