जयपुर। आर.टी.आई. कानून में नियमों में कुछ बदलाव कर इसे और सरल किया जा रहा है या सूचना लेने की प्रक्रिया को कठिन कर इसे कमजोर किया जा रहा है, इस विषय को लेकर हिंदी पाक्षिक समाचार पत्रिका "गठजोड़" द्वारा दिनांक 12 अप्रेल को संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता न्यायमूर्ति श्री पानाचंद जैन ने की। संगोश्ठी में ऑल इंडिया सोशल मीडिया फोरम के अध्यक्ष एवं सरकारी तंत्र पत्रिका के प्रधान संपादक महावीर कुमार सोनी, राजस्थान आर.टी.आई. एक्टिविस्ट फोरम के अध्यक्ष संजय गर्ग, अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं देश का दर्पण के संपादक उमेन्द्र राजपूत, शाईनिंग टाइम्स मैगज़ीन की उप संपादक एवं आर.टी.आई. एक्टिविस्ट भावना शर्मा, एडवोकेट शिव जोशी, दलित नाद के संवाददाता लोकेश शर्मा, एडवोकेट एन. के.शर्मा, आर.टी.आई. एक्टिविस्ट जुगल किशोर सिंगोदिया एवं गठजोड़ की संपादक सुरेखा सोनी ने विषय पर अपने अपने विचार रखे। सोशल लीडर महावीर सोनी ने सर्वप्रथम सरकार द्वारा इस संबंध में जो स्थिति स्पष्ट की, उस बारे में विस्तार से बताया, जिसमें सरकार के इस कानून को आमजन हित में और सरलीकरण करने तथा सुलभ करने के प्रयासों के बारें में उल्लेख था। जस्टिस पानाचंद जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बताया कि इसके सरलीकरण के ही प्रयास हैं किंतु सरकार ने जो 15 अप्रेल तक आपत्ति मांगी है, वो अवधि कम है तथा केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही प्रस्ताव मांगना अनुचित है, जबकि यह कानून आमजन के लिए है, अतः आमजन में ज्यादातर लोग आज भी इसके सही प्रयोग को जानते नहीं है। अतः इस बारे में जानकारी देने एवं प्रस्ताव मांगने के लिए अन्य कदम सरकार को उठाने चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में आर.टी.आई.एक्टिविस्ट फोरम के अध्यक्ष संजय गर्ग एवं सोशल लीडर महावीर सोनी ने संयुक्त बयान जारी कर सरकार के नाम अपील की, कि सरकार भविष्य में भी ऐसा कोई प्रयास न करे, जिसमें आर.टी.आई. आवेदन में इस हेतु कोई 500 शब्द जैसी कोई सीमा हो, कानून का लाभ आमजन अधिक से अधिक ले सकें, इस हेतु इसके नियमों का अधिक से अधिक सरलीकरण ही किया जावे, इसे प्रभावी बनाया जावे तथा इसके आवेदनकर्ताओं की हर स्तर पर सुरक्षा हो, पर भी कदम उठाया जावे।
*सरकार ने इस बारे में जो स्थिति स्पष्ट की है, जिसको संगोष्ठी में विस्तार से पढ़कर सुनाया गया,उसके लिए निम्न लिंक पर जावें -
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