महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना समाप्त

महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना को इसकी स्वैच्छिक प्रकृति, एनआरआई खातों के जरिए चंदे के भुगतान में कठिनाई, सीमित बीमा राशि, और जिन देशों में इसे लागू किया जाना है, वहां प्रतिबंधित नियामक माहौल  सहित अन्य कई कारणों से भारतीय प्रवासी मजदूरों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। यह योजना मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद 1 अप्रैल, 2017 से तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गई है।
हालांकि, विदेशों में रोजगार के लिए 18 अधिसूचित ईसीआर देशों में जाने वाले ईसीआर पासपोर्ट धारक सभी भारतीय प्रवासियों के लिए प्रवासी भारतीय बीमा योजना-पीबीबीवाई के तहत आवश्यक बीमा और मेडिकल कवर पहले से ही मौजूद है। बीमा राशि बढ़ाने और दावों के निपटान को और आसान बनाने के लिए 12.07.2017 को योजना में संशोधन किया गया है। पीबीबीवाई 2017 की कुछ प्रमुख विशेषताएं और लाभ इस प्रकार हैं।

(1) योजना के तहत विदेशों में नौकरी के दौरान आकस्मिक मृत्यु या स्थायी अपंगता की स्थिति में बीमित व्यक्ति की अधिकतम बीमा राशि दस लाख रुपये होगी चाहे पीड़ित व्यक्ति का नियोक्ता या स्थान कुछ भी हो।
(2) विदेशों में भारतीय मिशन और पोस्ट द्वारा सत्यापित आकस्मिक मृत्यु या स्थायी अपंगता प्रमाण-पत्र बीमा कंपनियों को मान्य होगा। यदि आकस्मिक मृत्यु या स्थायी अपंगता की घटना भारत में होती है तो इस संबंध में प्रमाण-पत्र संबंधित प्रवासियों के संरक्षक- पीओई जारी करेंगे।
(3) चोट या किसी बीमारी के इलाज के लिए मेडिकल बीमा राशि 75, 000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई है। (अस्पताल में प्रति भर्ती अधिकतम 50,000 रुपये)
(4) स्वास्थ्य के आधार पर अयोग्य साबित होने या तय समय से पहले नौकरी से निकाले जाने पर स्वेदेश वापसी कवर- इकोनॉमी क्लास में भारत के सबसे नजदीकी हवाई अड्डे तक का किराया।
(5) भारत में परिवार के सदस्यों के इलाज के लिए 50,000 रुपये।
(6) प्रवासीस महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ 25,000 से बढ़ाकर 35,000 रुपये कर दिया गया है।
(7) प्रवासी की आकस्मिक मृत्यु या स्थायी अपंगता की हालत में नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक इकोनॉमी क्लास में वापसी हवाई किराया मिलेगा।
(8) विदेश में प्रवासियों की नौकरी संबंधित मामलों में मुकदमेबाज़ी पर कानून खर्च की राशि 30,000 से बढ़ाकर 45,000 कर दी गई है।
(9)पीबीबीआई पॉलिसी का ऑन-लाइन नवीकरण का भी प्रावधान है।

यह जानकारी आज लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री श्री वी के सिंह ने दी। 


वीके/एके-3151  
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