खूबसूरती, ग्लैमर और नाजो अदा का पर्याय, जीनत अमान - सुभाष शिरढोनकर

19 नवंबर, 1951 को मुस्लिम पिता, अमानुल्ला और हिंदू मां के घर में जन्मी, जीनत अमान, के पिता हिंदी फिल्म जगत के पटकथा लेखक थे। उन्होंने ’मुगल--आजम’ और ’पाकीजा’ जैसी कई कामयाब फिल्मों की पटकथा लिखी।
जीनत अमान जब 13 साल की थी, उनके पिता का निधन हो गया। उसके बाद उनकी मां ने एक जर्मन व्यक्ति के साथ शादी कर ली। जीनत, मां के साथ जर्मनी चली गई लेकिन 18 साल की होते होते वापस भारत आ गई।
जीनत अमान ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में दाखिला लिया। बतौर पत्रकार फेमिना से जुड़ी, फिर मॉडलिंग की ओर रूख किया। ’मिस इंडिया’ कांटेस्ट की रनरअप रहीं और 1970 में ’मिस एशिया पेसिफिक’ कहलाईं।
70 के दशक में जीनत अमान ने, छोटे मोटे रोल्स के साथ फिल्म कैरियर की शुरूआत की। 1971 में ओपी रल्हन की ’हलचल’ में उन्हें पहला अवसर मिला। इसके बाद किशोर कुमार की ’हंगामा’ की लेकिन जीनत अमान को देव आनंद की ’हरे रामा हरे कृष्णा’ (1972) से असल पहचान मिली। इसमें उन्होंने देव साहब की बहन जसबीर उर्फ जैनिस का किरदार निभाया था।
इस फिल्म में जीनत अमान ने एक हिप्पी लड़की के किरदार में हिंदी सिने जगत की हीरोइन की परिभाषा को ही बदल कर दख दिया। इसमें उन पर फिल्माया गया गीत ’दम मारो दम.....’ बेहद हिट हुआ। इसके बाद इंडस्ट्री के बड़े बड़े मेकर्स की फिल्मों में काम करने का अवसर मिला और कामयाबी की चोटी पर पहुंच गईं।
पूरी तरह पश्चिमी रंग में ढली जीनत अमान ने बेहद आधुनिक किरदार निभाये। उनके ग्लैमरस व्यक्तित्व ने उन्हें परंपरागत नायिका की श्रेणी से हमेशा दूर रखा। राज कपूर की ’सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978) में जीनत अमान एक बेहद ग्लैमरस किरदार में नजर आईं। फिल्म में उनके कुछ अंग प्रदर्शन वाले दृश्यों को लेकर काफी हंगामा हुआ।
सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978) के बाद जीनत अमान ने ’इंसाफ का तराजू’ (1980), ’कुर्बानी’ (1980), ’दोस्ताना’ (1980), ’लावारिस’ (1981),   और ’महान’ (1983), जैसी ढेर सारी कामयाब फिल्में दीं।
बलात्कार जैसे विषय पर बनी बी.आर.चोपड़ा की ’इंसाफ का तराजू’ (1980) में जीनत अमान ने एक बेहद बोल्ड किरदार निभाया था। इसमें लाजवाब अदाकारी के लिए जीनत को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्राी का फिल्मफेयर का नॉमिनेशन मिला। क्रिटिक्स ने भी जीनत के काम को बेहद सराहा।
फिरोज खान की ’कुर्बानी’ (1980) में जीनत अमान इतनी ज्यादा सैक्सी और ग्लैमरस नजर आईं कि दर्शकों के छक्के छूट गए। फिल्म में उन पर फिल्माया गया ’आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये.........’ गीत बेहद हिट रहा। पूरी फिल्म बोल्ड सीन के कारण काफी चर्चाओं में रहीं। वह 80 के दशक की सबसे बड़ी ब्लॉक बस्टर फिल्म थी।
जीनत अमान 70 और 80 के दशक में खूबसूरती, ग्लैमर और नाजो अदा का पर्याय मानी जाती थीं। ’अब्दुल्ला’ (1980) के फिल्मांकन के दौरान जीनत ने संजय खान के साथ गुपचुप शादी की लेकिन संजय के साथ उनका वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल सका।
1985 में, जब जीनत अमान अपने कैरियर के उफान पर थीं, उन्होंने हिंदी फिल्मों के केरेक्टर आर्टिस्ट मजहर खान के साथ शादी कर ली। उस शादी पर हर किसी को काफी अचरज हुआ था। 1998 में मजहर की मृत्यु हो गई। मजहर से उन्हें दो बेटे हैं।  (युवराज)

1 comments:

बहुत शानदार और बेहतरीन लेख! साधूवाद