अब गाय बनेगी विराटनगर पर्यटन की विरासत, होंगे ये खास इंतजाम: राकेश मिश्रा

विराटनगर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन दिनों कई कदम उठाए जा रहे हैं. विराट नगर जिसे बैराठ के नाम से भी जाना जाता है। विराटनगर जयपुर से मात्र 90 किलोमीटर दूर ख़ूबसूरत अरावली की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और ये प्राचीन राज्य मत्स्य की राजधानी थी। विराटनगर में ऐसे साक्ष्य मिलते हैं जिनसे पता लगता है कि यह पौराणिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओं को भी अपने में समेटे हुए है। 
महाभारत के अनुसार पांडवों ने अपने 13 साल के वनवास के अज्ञातवास के दौरान यहां प्रवास किया था। मान्यता है कि यहां स्थित भीम की डूंगरी में भीम ने निवास किया था। यहीं पर पहाड़ों से बनी कुछ विशाल आकृतियां हैं जिनमें भीम गट्टे जिनके बारे में कहा जाता है कि भीम इनसे खेलते थे, भीम लत जहां एक पांव की आकृति है बताया जाता है भीम ने यहां एक जोरदार लात मारी थी जिससे यह आकृति बन गई। एएसआई की ओर से की गई शोध और खुदाई में यहां बहुत से प्रीहिस्टोरिक साक्ष्य मिले हैं। यहीं एक दीर्घ कला भी है जिसमें यहां की खुदाई में मिले स्कल्पचर्स, सिक्के तथा धातु की अन्य सामग्री को प्रदर्शित किया गया है। 
यहां की विभिन्न दर्शनीय इमारतें जैसे पंच महल (मुग़ल गेट), छतरियों के साथ-साथ बीजक की पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्तूप, बौद्ध मोनेस्ट्री, जैन मंदिर, जैन नसिया, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर और यहीं प्राचीन विंध्यचल मंदिर इस क्षेत्र के ऐतिहासिक होने की पुष्टि भी करते हैं। बताया जाता है मुगल सम्राट अकबर हर साल अपनी अजमेर यात्रा के दौरान पंच महल में प्रवास करते थे। चूंकि ये क्षेत्र जंगली जानवरों से संपन्न था तो समय-समय पर वो और उनके साथी यहां शिकार करने भी आया करते थे। 
इन सभी बातों के लिए मशहूर हुए  विराटनगर में अब नया सवेरा संस्था के मुख्य संयोजक राकेश मिश्रा "गाय पर्यटन योजना" शुरू करने जा रहे हैं. जय श्री राम गौ सेवा व गौ रक्षा संस्था के अध्यक्ष राकेश मिश्रा का कहना है कि ‘गो पालन और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे गौमूत्र और गोबर से उत्पाद कैसे बनाए जाते हैं, यह जानने में लोगों की रूचि है. ऐसे लोगों को सबसे अच्छी गौशालाओं और ‘गौचर’ (चरागाह) में दो दिन के ट्रिप पर ले जाया जायेगा.’
उन्होंने कहा, ‘गाय पर्यटन, गायों को रखने के आर्थिक लाभों को समझने की दिशा में एक कदम है. अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि हम गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग करके जैव-गैस एवं दवाइयों जैसे बुनियादी उत्पादों का निर्माण कर एक अच्छी आय कमा सकते हैं. गाय पयर्टन का मकसद गाय से जुड़े धार्मिक एवं आर्थिक पहलुओं को जोड़ना है.’
गौमूत्र में औषधीय और कीटाणुनाशक गुण बताते हुए उन्होंने कहा सत्व ऑर्गेनिक फिनाइल और साबुन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं गोबर बायो गैस, खाद और अगरबत्तियां बनाने में काम आता है.इस परियोजना में दो दिन के लिए लोगों को न केवल उन गौशालाओं में ले जायेंगे जहां उनकी अच्छी देखरेख होती है, बल्कि उन्हें गोमूत्र और गोबर से बने उत्पादों से पैसा कैसे कमाया जाता है, खास बात यह है इस प्रोजेक्ट की राकेश मिश्रा विचरण करने वाली गायों को साथ लेकर यह प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं और घायल व पीड़ित गायों के इलाज के लिए संसाधन भी धीरे धीरे जुटा रहे हैं ताकि गायों का समय पर इलाज कर सकें। यह प्रोजेक्ट फ़िल्म के माध्यम से भी दुनिया में दिखाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को लाने की छोटी-सी अवधि में संस्था ने ऐसी कई यात्राओं की व्यवस्था की है. गौशालाओं के अलावा इन यात्राओं में लोगों को गौचरों में भी ले जाया जाएगा. अब तक विराटनगर के आस पास गांव लोगों को खास पसन्द आये हैं।
जय श्री राम गौ सेवा व गौ रक्षा संस्था के अनुसार जो लोग गायों के बारे में फिक्र करते हैं, इन यात्राओं में ऐसे उदाहरण देखकर वे प्रभावित होंगे और अपने गांव में भी ऐसा करेंगे।