खान मंत्रालय ने मान्‍यता प्राप्‍त शिक्षण संस्‍थानों, विश्‍वविद्यालयों, राष्‍ट्रीय संस्‍थानों तथा अनुसंधान और विकास संस्‍थानों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी परियोजना प्रस्‍ताव आमंत्रित किए


वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्‍थान विभाग द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त शिक्षण संस्‍थानों, विश्‍वविद्यालयों, राष्‍ट्रीय संस्‍थानों तथा अनुसंधान और विकास संस्‍थानों से निम्‍नलिखित मुख्‍य क्षेत्रों में तीन वर्ष की अवधि के लिए परियोजना प्रस्‍ताव आमंत्रित किये हैं, जिनका खनिज क्षेत्र, खनन और औद्योगिक उपयोग के प्रायोगिक और दीर्घकालिक पहलू से सीधा संबंध है।
खान के क्षेत्र में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र
   खनन के क्षेत्र में अनुसंधान में सहायता करने वाले प्रमुख क्षेत्र नीचे दिए गए हैं –
  1. सामरिक महत्‍व के असाधारण और दुर्लभ धातु खनिज पदार्थों के लिए खोज/अन्‍वेषण।  
  2. भूमि और गहरे समुद्र में खनिज अन्‍वेषण और खनन के लिए नई प्रौद्योगिकी का विकास, ताकि नये खनिज पदार्थ संसाधनों का पता लगाया जा सके और उन्‍हें काम में लाया जा सके।
    III.     खनन के तरीकों में अनुसंधान। इसमें रॉक मैकेनिक्‍स, खान डिजाइनिंग, खनन उपकरण, ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और खान सुरक्षा शामिल है।
  1. प्रक्रम, संचालन की कार्य कुशलता में सुधार, गौण उत्‍पादन की पुन: प्राप्ति और मापन और उपभोग नियमों में कटौती।
  2. कम स्‍तर के और बेहतरीन आकार वाले अयस्‍कों का उपयोग करने के लिए धातु विज्ञान और खनिज को अयस्‍क से अलग करने संबंधी अनुसंधान।
  3. खान के कचरे, प्‍लांट टेलिंग से मूल्‍यावर्धित उत्‍पादों को निकालना।
   VII.     नये धातुओं और धातु संबंधी उत्‍पादों का विकास।
  VIII.     कम पूंजी और ऊर्जा बचत प्रक्रिया प्रणाली बनाना।
  1. उच्‍च शुद्धता की सामग्री का उत्‍पादन।
  2. खनिज क्षेत्र से जुड़े संगठनों के बीच सहयोगपूर्ण अनुसंधान।    
वैज्ञानिक और तकनीकी श्रेष्‍ठता तथा उद्योग के लिए महत्‍व
    मंत्रालय के पास परियोजना प्रस्‍ताव जमा कराने से पहले सभी संगठनों को निम्‍नलिखित निर्देशों का पालन करना होगा –
क.   प्रस्‍ताव खनन, अन्‍वेषण, खनिजों, धातुओं के मूल्‍य, कचरा और खनन तथा धातु विज्ञान प्रोसेसिंग के पर्यावरण पर प्रभाव के सम्‍पूर्ण आदेश पत्र के अनुरूप होना चाहिए।
ख.   उद्योग का निवेश और भागीदारी ।
ग.    संकल्‍पना, पद्धति, नवाचार अथवा उपयोग में मौलिकता ।
घ.    नई पद्धति का विकास, अत्‍याधुनिक सामग्री के साथ संकलन।  
ङ.     प्रक्रिया में सुधार व नवाचार।  
च.    उपस्‍करों और अनुसंधान संबंधी अन्‍य डिजाइन।
छ.   कचरा/सेकेन्‍ड्री/कम स्‍तर की सामग्री की पुन: प्राप्ति के विकास की प्रक्रिया ।
ज.   शून्‍य कचरा खनन, आंकड़ों का वृहद विश्‍लेषण और नकल मॉडलिंग।
झ.   अध्‍ययन की प्रकृति,प्रायोगिक, मॉडलिंग/नकल और दोनों।
ञ.    प्रस्‍ताव में उद्देश्‍यों की स्‍पष्‍ट जानकारी होनी चाहिए ।
ट.     रिसर्च के तरीकों का विवरण, प्रयोग के डिजाइन, विश्‍लेषण के लिए चुने गए तरीके सटीक और वैध होने चाहिए।
ठ.     प्रस्‍ताव में उद्योग के लिए उनकी प्रासंगिकता, उद्योग की भागीदारी यदि उचित हो,  संभावित प्रयोग के क्षेत्र स्‍पष्‍ट होने चाहिए।
ड.     प्रारंभिक संयंत्र की संभावित और बाद में संयंत्र के स्‍तर पर मापनीयता।
ढ.     इसके तकनीकी आर्थिक लाभ क्‍या हैं (कम से कम संभावित आकलन) ।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिए सहायता अनुदान परियोजना मूल्‍यांकन और समीक्षा समिति द्वारा परियोजना के मूल्‍यांकन की प्रक्रिया से खान मंत्रालय द्वारा दिया जाएगा। सिफारिश की गई परियोजनाओं को मंत्रालय द्वारा गठित स्‍थायी वैज्ञानिक सलाहकार समूह मंजूरी देगा।
  परियोजनाएं अनुभाग अधिकारी के पास (मैटल-IV सेक्‍शन), कमरा नम्‍बर- 528, खंड-11, पांचवी मंजिल, सीजीओ परिसर, खान मंत्रालय, लोधी रोड, नई दिल्‍ली- 110001 (फोन नम्‍बर -011-24364196) एमएस वर्ल्‍ड फार्मेट ( 3 एमबी से अधिक नहीं) में परियोजना प्रस्‍ताव की सॉफ्ट कॉपी के साथ 15 जुलाई, 2017 तक निर्धारित प्रारूप में ई-मेल vikas.raj@nic.in    में भेजी जा सकती हैं। निर्धारित प्रारूप के नियम और शर्तों का विस्‍तृत विवरण वेबसाइट www.mines.nic.in में उपलब्‍ध है। जिन परियोजनाओं को छांटा जाएगा, उन्‍हें अपने प्रस्‍ताव दिल्‍ली अथवा किसी अन्‍य शहर में प्रस्‍तुत करने का निर्देश दिया जाएगा।
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वीके/केपी/वाईबी-1816