जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल के तत्वावधान में गुवाहाटी में की जिफ इंडियन सिनेमा फंड की स्थापना की घोषणा
रिंकी भुयान बनी जिफ इंडियन सिनेमा फंड की पहली बोर्ड ऑफ डायरेक्टर
आसामी फिल्म बोकुल फुलोर डोरे का ट्रेलर और पोस्टर किया लांच
इस मौके पर अशोक सिंघल, आवास और शहरी मामलों और सिंचाई मंत्री, असम सरकार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे
जयपुर। जनवरी माह में 6 से 10 तारीख तक होने वाले पन्द्रहवें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल में इस बार इंडियन पैनोरमा की 12 विभिन्न भारतीय भाषाई फुल लैंथ फिल्मों की लांचिंग की जाएगी। इंडियन सिनेमा के इतिहास में ये पहला मौका है जब देश में बनी विभिन्न भारतीय भाषाओं की 12 फिल्मों की इतने व्यापक स्तर पर लांचिंग की जा रही है। इतना ही लॉंचिंग से पहले इन फिल्मों का देश के 7 शहरों में प्रमोशन अभियान चलाया जाएगा। इस कैम्पेन को ‘’टॉच कैम्पेन’ नाम दिया गया है। मंगलवार को इस अभियान का श्रीगणेश गुवाहाटी से किया गया। टॉर्च कैम्पेन की लांचिंग यहां के विवांता ताज होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में की गई। इस मौके पर आसाम के अनेक फिल्म निर्माता निर्देशक मौजूद रहें। लांचिंग समारोह की मुख्य अतिथि आसाम के मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी और प्रख्यात फिल्म मेकर रिंग भुयान सरमा थीं तथा गुवाहाटी के संयुक्त पुलिस कमिश्नर पार्था सारथी महन्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। पार्था सारथी स्वयं भी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर हैं।
इस अवसर पर संजय हजारिका के निर्देशन और रिंकी भुयान सरमा द्वारा प्रोड्यूस्ड आसामी फिल्म बोकुल फुलोर डोरे का ट्रेलर और पोस्टर लांच किया गया.
इन बारह फिल्मों की ज्यूरी में हॉलीवुड के जाने माने विजुअल इफेक्ट्स जिम रेगिल शामिल हैं जिन्हें उनकी फिल्म दी लॉर्ड ऑफ दी रिंग्स ट्रिलॉजी में बेस्ट वीजुअल इफेक्ट्स के लिए तीन ऑस्कर और तीन बॉफ्टा अवार्ड मिल चुका है।
दूसरे सदस्य हॉलीवुड के ही स्टीफन केस्टोर हैं। स्टीफन जिम रेगिल की ऑस्कर और बेफ्टा अवार्ड विनिंग फिल्म की वीजुअल इफेक्ट टीम के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं।
इसी प्रकार फ्रांस के मार्क बाश्चेट पेशे से फिल्म प्रोड्यूसर और सिनेमाटोग्राफर हैं। वो अपनी फिल्मों नो मैन्स लैंड, बिफोर दी रेन्स और अडॉप्टेड सन के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्म नो मैन्स लैंड को 2001 में ऑस्कर मिल चुका है। इससे पहले मार्क दो बार जिफ में भाग ले चुके है.
ज्यूरी में इसके अलावा दो भारतीय फिल्मकारों ने भी शामिल होने की सहमति दी है। इनमें बॉलीवुड के जाने-माने स्क्रीन प्ले राइटर और टीचर अंजुम रजाबलि हैं. उन्होंने द्रोहकाल (1994), गुलाम (1998), द लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2002) और राजनीति (2010), सत्याग्रह (2013), चक्रव्यूह (2012), आरक्षण (2011), राजनीति (2010), अपहरण (2005) जैसी फिल्में लिखी हैं। उन्हें भारतीय पटकथा लेखकों के अधिकारों की पैरवी के लिए भी जाना जाता है।
1988 में प्रदर्शित चर्चित फिल्म पीरवी के जरिए कॉन्स फिल्म फैस्टिवल में कैमरा-डीओर अवार्ड विनिंग फिल्म पीरवी के निर्देशक और सिनेमाटोग्राफर पद्मश्री शाजी एन करूण भी इस ज्यूरी के पांचवें सदस्य होंगे। शाजी एन करूण जिफ द्वारा मनोनीत इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे।
इस प्रकार इस ज्यूरी में फिल्म निर्माण के सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व रखा गया है।