अंकिता जैन अवनी की "मैं निर्भय या निर्भया" पुस्तक की समीक्षा

स्त्री जीवन आसान कहां,
पग-पग पर संभलना पड़ता है।
कभी गैरों की तो कभी अपनों की नजरों से,
इन्हें बचकर निकलना पड़ता है।
अंकिता जैन अवनी की बहुचर्चित किताब मैं निर्भय या निर्भया आज समाज के समक्ष एक सबाल लेकर खड़ी है।
यह किताब लोगों को स्त्री जीवन के प्रति संवेदनशील बनाने का काम कर रही है। नारी वेदना पर आधारित अंकिता की मैं निर्भय या निर्भया जहां एक ओर छेड़छाड़ और बलात्कार के मुद्दों पर रोशनी डालती है। वहीं दूसरी तरफ तेजाब हमले और वेश्यावृत्ति के मुद्दों पर गंभीर विमर्श भी किया गया है। 
"मैं निर्भय या निर्भया" अंकिता जैन अवनी की एक सीक्रेट बुक रही है। इस किताब के बारे में सोच कर ऐसा लगता है जैसे ये किताब केवल बलात्कार और बलात्कार से उपजे कहर पर आधारित है। पर इस किताब को पढ़ने पर और इस किताब की गहराइयों में उतरने पर ज्ञात होता है कि इस किताब में केवल एक नहीं बल्कि नारी जीवन के प्रत्येक गंभीर और संवेदनशील मुद्दों को उठाया गया है। यह किताब अंकिता जैन ने 7 सालों में पूरी की।
हैरानी की बात यह है कि 83 पेज की यह किताब वर्तमान में लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। अंकिता बताती है कि उनकी किताब मैं निर्भय या निर्भया में पाठकों को छेड़छाड़, बलात्कार, तेजाब हमले और वेश्यावृत्ति की समस्या और इन समस्याओं के समाधान के बारे में भी पढ़ने को मिलेगा। यह किताब अंकिता जैन अवनी की एक सीक्रेट बुक के तौर पर भी जानी जाती हैं। इस किताब को लिखने के पीछे का उद्देश्य है समाज में फैली स्त्री विरोधी मानसिकता को बदलना और एक सुरक्षित समाज महिलाओं के लिए बनाना।